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शिक्षकों पर डीईओ का टेलीफोनिक डंडा चला तो उपस्थिति 55 से बढ़कर हो गई 96 फीसदी

सब हेडिंगः कसावट लाने डीईओ ने सालभर में काटा 24 शिक्षकों का वेतन, दो को किया बर्खास्त, 37 को दिया प्रशंसा पत्र
रायपुर । नईदुनिया प्रतिनिधि स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाने जिला शिक्षा अधिकारी का टेलीफोनिक डंडा चला तो 538 प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति प्रतिशत 55 से बढ़कर 96 प्रतिशत हो गई। इसके लिए डीईओ ने प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में लगातार मॉनिटरिंग की।
खामी पाए जाने पर 196 स्कूलों से स्पष्टीकरण मांगा। वहीं 28 को बेहतर काम करने के लिए प्रशंसा-पत्र भी दिया। इसी तरह 205 हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में जहां अगस्त में बच्चों की उपस्थिति 63 प्रतिशत थी वह बढ़कर 98 प्रतिशत हो गई। इस बीच डीईओ ने 57 को शोकाज नोटिस जारी कर चेतावनी दी और 09 को प्रशंसा-पत्र लिखा। स्कूलों में नहीं आने वाले दो शिक्षकों को बर्खास्त किया और 24 शिक्षकों को लापरवाही के कारण एक दिन के वेतन से वंचित होना पड़ा। डीईओ बंजारा का कहना है कि इस साल टेलीफोनिक टीम और बेहतर तरीके से काम करेगी। सौ प्रतिशत उपस्थिति के टारगेट के लिए रोडमैप तैयार कर रहे हैं।
टेलीफोनिक मॉनिटरिंग पर मिला पुरस्कार
डीईओ एएन बंजारा के नवाचार टेलीफोनिक मॉनिटरिंग पर नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन नईदिल्ली ने 7 मार्च 2017 को उन्हें अवॉर्ड दिया। इसके पहले वे दुर्ग में डीईओ थे। वहां पर उन्होंने यही मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया था। गलती पाई जाने पर कई शिक्षकों की वेतनवृद्धि रोकी थी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी इस मॉडल की सराहना की थी। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा अभियान के तहत परिणाम बेहतर आया था। बच्चों का ड्रापआउट कम हुआ। वहां 70 शिक्षकों की उपस्थिति 70 से बढ़कर 90 प्रतिशत और बच्चों की उपस्थिति 60 से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गई थी। वार्षिक परीक्षा का परिणाम प्रतिशत भी बढ़ा था। अब इस फामर्ूेले पर रायपुर में भी पढ़ाई करवाई गई है, उम्मीद है कि इस बार बोर्ड परीक्षा के परिणाम बेहतर होंगे।
सालभर पूछती रही टीम, फलां शिक्षक आए या नहीं
डीईओ एएन बंजारा ने पद संभालते ही अगस्त 2016 में स्कूलों की मॉनिटरिंग का नया फार्मूला पेश किया तो लचर व्यवस्था वाले स्कूलों में हड़कंप मच गया। टेलीफोनिक मॉनिटरिंग के लिए एक टीम गठित की गई थी जो रोज स्कूलों में फोन पर बच्चों से पूछती थी कि फलां शिक्षक स्कूल आए या नहीं, शिक्षक ने क्या पढ़ाया, मिड डे मील में खाना खाया और क्या खाया। पालकों से भी पूछा जा रहा था कि स्कूल में शिक्षक आ रहे हैं या नहीं?
तेरहवीं, दशगात्र में पहुंचे शिक्षकों ने बताया स्कूल में हूं..
टेलीफोनिक मॉनिटरिंग में कई शिक्षकों का झूठ पकड़ा गया। एक शिक्षक ने टीम से झूठ बोला कि वह स्कूल में है। जब टीम ने कहा कि बच्चे से बात कराओ तब मुकर गया और बोला कि दशगात्र में आया हूं। इसी तरह एक स्कूल के दो शिक्षक छह महीने से स्कूल ही नहीं आ रहे थे, जिन्हें डीईओ ने बर्खास्त कर दिया। जिन-जिन स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति 80 फीसदी से कम रही, वहां के जिम्मेदार शिक्षक, प्रधानपाठक और प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता रहा।
रोज 20 स्कूलों में फोन करती रही टीम
मॉनिटरिंग के लिए सहायक संचालक स्तर के अफसरों की तीन सदस्यीय टीम बनाई गई है। इसमें वीके तिवारी, संजय गोस्वामी और अशोक नागपुरे शामिल हैं। टीम हर दिन 10 प्राइमरी-मिडिल और 10 हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों में फोन करती थी। 

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