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हर रोज 36 किमी साइकिल चलाकर 10वीं ओपन स्कूल में पढ़ाई की पूरी

नारी शिक्षा के लिए कार्य रही संस्था प्रथम ओपन स्कूल बालोद की छात्रा सुमन निवासी डूंडेरा ने साबित कर दिया कि असंभव कुछ भी नहीं है। मन में लगन और पढ़ने की चाह व्यक्ति कों ऊंचाई तक पहुंचाती है। ओपन स्कूल के सेंटर दरबारी नवागांव की सुमन साहू 2015 में 9वीं कक्षा में फेल होने से निराश होकर स्कूल छोड़ दी थी।


जब उन्हें ओपन स्कूल के बारे मालूम हुआ तो दोबारा पढ़ने की इच्छा जागी फिर दरबारी नवागांव सेंटर में भर्ती होकर रोज घर से 18 किमी दूर साइकिल से आना जाना कर पढ़ाई पूरी की पिता लोकनाथ 8वीं और मां परमिला बाई दूसरी तक पढ़ी हैं। पिता मिस्त्री काम करते हैं। दसवीं पास होने से परिवार में खुशी का माहौल है। अब आगे सुमन 11 वी नियमित पढ़ाई करेगी। सुमन की मां ने कहा कि अब बेटी को कॉलेज के साथ आगे जितनी पढ़ना चाहेगी हम पढ़ाएंगे।

छात्रा का सम्मान करने के लिए शिक्षक पहुंचे घर पर

सुमन के साहस को सम्मान करने ओपन स्कूल के शिक्षक शिक्षक जागेश्वर साहू, कोमलचंद साहू, ओमनाथ रात्रे, बालोद के इंचार्ज सुभाष डोंगरे उनके घर पहुंचे। ज्ञात हो कि जिनकी उम्र 16 से 35 वर्ष तक है या कक्षा 5वीं से 9वीं अनुत्तीर्ण है। ऐसे शालात्यागी लड़कियां व महिलाओं के लिए 2012 से प्रथम ओपन स्कूल बालोद में निशुल्क कक्षा चल रही है।

छात्रा ने बारिश और बाढ़ में भी बंद नहीं की पढ़ाई

रोज 36 किमी का सफर साइकिल से तय करने 3 घंटे लगते थे। बारिश में कोंगनी नाला में बाढ़ आने के बाद भी वह नाला पार करके स्कूल आती थी। दरबारी नवागांव के शिक्षक कोमलचंद साहू ने बताया डूंडेरा की चार छात्राए ओपन स्कूल में पढ़ने प्रवेश लिए थे लेकिन दूरी अधिक होने के कारण तीन छात्राओं ने पढ़ाई छोड़ दी। सुमन की इच्छाशक्ति से मंजिल मिली।

सुमन साहू 

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