रायगढ़. आंदोलन के आठवें दिन जिला पंचायत सीईओ ने
धरमजयगढ़ के एक परीविक्षा अवधि वाले हाई स्कूल रायमेर में पदस्थ व्याख्याता
पंचायत सूरज कुमार शर्मा को बर्खास्त कर दिया है। वहीं परीविक्षा अवधि के
अन्य शिक्षाकर्मियों को भी अल्टीमेटम दिया गया है।
शासन की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद अन्य शिक्षकों में भी हड़कंप की स्थिति है हलांकि वो खुलकर तो नहीं बोल रहे हैं पर इस बात का भय है कि कहीं वो बली का बकरा न बन जाएं। दूसरी ओर जिला पंचायत से एक बार फिर से सभी स्कूलों से सूची मंगाई गई है ताकि अन्य पर भी कार्रवाई किया जा सके। ज्ञात हो कि जिले में अभी तक जिला पंचायत के नोटिस के बाद 115 शिक्षाकर्मी स्कूलों में वापस लौटे हैं।
शिक्षा विभाग की सूची के अनुसार इसमें 43 परीविक्षा अवधि वाले शिक्षक हैं तो 72 शिक्षक इस अवधि को पार कर चुके हैं। हांलाकि जिला पंचायत के अधिकारी परीविक्षा अवधि वाले शिक्षकों की संख्या 207 बता रहे हैं लेकिन उक्त आकड़े को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। इसके कारण स्कूलों से फिर से सूची मंगाई गई है जिसमें कुल शिक्षक वर्गवार व कितने आंदोलन में है और कितने वापस लौटे हैं कि जानकारी मांगी गई है।
ताकि परीविक्षा अवधि वाले अन्य ऐसे शिक्षक जो कि वापस नहीं लौटे हैं पर कार्रवाई की जा सके। जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि अवैधानिक रूप से कर्तव्यों की अवहेलना करते हुए हड़ताल में शामिल होकर स्वेच्छारिता एवं अनुशासनहीनता करने के कारण छत्तीसगढ़ पचायत सेवा आचरण नियम 1998(5)तथा छत्तीसगढ़ पंचायत सेवा नियम 1999 में निहित प्रावधनों के अनुरूप व्याख्याता पंचायत रायमेर के सूरज कुमार को बर्खास्त किया गया है।
निर्बाध रूप से संपन्न हुई परीक्षा- सोमवार से जिले के सरकारी स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो गई है। पहले दिन पहला पर्चा निर्बाध रूप से संपन्न हो गया है। इस बात की आशंका थी कि शिक्षकों के हड़ताल पर होने के कारण परीक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी, पर स्कूल के रेगुलर शिक्षकों ने परीक्षा की व्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाल लिया है।
हलंाकि अब यह सवाल उठ रहा है कि नियमित, रिटायर्ड, बीएड परीक्षार्थी व अन्य के सहयोग से परीक्षा तो संपन्न करा लिया जाएगा लेकिन इसके परिणाम की घोषणा करने में देरी हो सकती है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि एक साथ सभी स्कूल में हाई और हायर सेकेण्डरी के पर्चे को सिर्फ नियमित शिक्षकों के भरोसे मूल्यांकन कराना संभव नहीं है।
ज्ञात हो कि अर्धवार्षिक परीक्षा के साथ ही साथ मूल्यांकन का काम भी किया जाता था, लेकिन शिक्षाकर्मी आंदोलन में है ऐसे स्थिति में वर्तमान में तो मूल्यांकन का काम शुरू नहीं हो पाएगा। हांलाकि इसको लेकर विभाग के अधिकारी भी चिंतित नजर आ रहे हैं, लेकिन यह कहा जा रहा है कि परीक्षा संपन्न होने के बाद परिणाम के लिए समय लिया जाएगा और भले देरी होगी लेकिन परिणााम भी जारी कर दिया जाएगा।
लिोगों का कहना है कि शिक्षाकर्मियों ने आंदोलन के लिए परीक्षा का समय इसलिए चुना था कि परीक्षा के सहारे अपनी बात मनवा सके। लेकिन इस बार सरकार ने शिक्षकों के इस मंशा पर पानी फेर दिया है। जिसके कारण एक ओर शिक्षाकर्मी आंदोलन में है तो दूसरी ओर वैकल्पिक व्यवस्था के आधार पर परीक्षा चल रही है।
शासन की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद अन्य शिक्षकों में भी हड़कंप की स्थिति है हलांकि वो खुलकर तो नहीं बोल रहे हैं पर इस बात का भय है कि कहीं वो बली का बकरा न बन जाएं। दूसरी ओर जिला पंचायत से एक बार फिर से सभी स्कूलों से सूची मंगाई गई है ताकि अन्य पर भी कार्रवाई किया जा सके। ज्ञात हो कि जिले में अभी तक जिला पंचायत के नोटिस के बाद 115 शिक्षाकर्मी स्कूलों में वापस लौटे हैं।
शिक्षा विभाग की सूची के अनुसार इसमें 43 परीविक्षा अवधि वाले शिक्षक हैं तो 72 शिक्षक इस अवधि को पार कर चुके हैं। हांलाकि जिला पंचायत के अधिकारी परीविक्षा अवधि वाले शिक्षकों की संख्या 207 बता रहे हैं लेकिन उक्त आकड़े को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। इसके कारण स्कूलों से फिर से सूची मंगाई गई है जिसमें कुल शिक्षक वर्गवार व कितने आंदोलन में है और कितने वापस लौटे हैं कि जानकारी मांगी गई है।
ताकि परीविक्षा अवधि वाले अन्य ऐसे शिक्षक जो कि वापस नहीं लौटे हैं पर कार्रवाई की जा सके। जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि अवैधानिक रूप से कर्तव्यों की अवहेलना करते हुए हड़ताल में शामिल होकर स्वेच्छारिता एवं अनुशासनहीनता करने के कारण छत्तीसगढ़ पचायत सेवा आचरण नियम 1998(5)तथा छत्तीसगढ़ पंचायत सेवा नियम 1999 में निहित प्रावधनों के अनुरूप व्याख्याता पंचायत रायमेर के सूरज कुमार को बर्खास्त किया गया है।
निर्बाध रूप से संपन्न हुई परीक्षा- सोमवार से जिले के सरकारी स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो गई है। पहले दिन पहला पर्चा निर्बाध रूप से संपन्न हो गया है। इस बात की आशंका थी कि शिक्षकों के हड़ताल पर होने के कारण परीक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी, पर स्कूल के रेगुलर शिक्षकों ने परीक्षा की व्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाल लिया है।
हलंाकि अब यह सवाल उठ रहा है कि नियमित, रिटायर्ड, बीएड परीक्षार्थी व अन्य के सहयोग से परीक्षा तो संपन्न करा लिया जाएगा लेकिन इसके परिणाम की घोषणा करने में देरी हो सकती है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि एक साथ सभी स्कूल में हाई और हायर सेकेण्डरी के पर्चे को सिर्फ नियमित शिक्षकों के भरोसे मूल्यांकन कराना संभव नहीं है।
ज्ञात हो कि अर्धवार्षिक परीक्षा के साथ ही साथ मूल्यांकन का काम भी किया जाता था, लेकिन शिक्षाकर्मी आंदोलन में है ऐसे स्थिति में वर्तमान में तो मूल्यांकन का काम शुरू नहीं हो पाएगा। हांलाकि इसको लेकर विभाग के अधिकारी भी चिंतित नजर आ रहे हैं, लेकिन यह कहा जा रहा है कि परीक्षा संपन्न होने के बाद परिणाम के लिए समय लिया जाएगा और भले देरी होगी लेकिन परिणााम भी जारी कर दिया जाएगा।
लिोगों का कहना है कि शिक्षाकर्मियों ने आंदोलन के लिए परीक्षा का समय इसलिए चुना था कि परीक्षा के सहारे अपनी बात मनवा सके। लेकिन इस बार सरकार ने शिक्षकों के इस मंशा पर पानी फेर दिया है। जिसके कारण एक ओर शिक्षाकर्मी आंदोलन में है तो दूसरी ओर वैकल्पिक व्यवस्था के आधार पर परीक्षा चल रही है।