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शिक्षाकर्मी हड़ताल पर, स्कूलों में बच्चों की संख्या घटी, आने वाले मध्यान्ह भोजन और खेलकर जा रहे

भास्कर न्यूज | भिलाई/बिलासपुर नौ सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर के शिक्षाकर्मी पूरे समय हड़ताल में बिता रहे हैं। शिक्षकों की कमी के चलते नियमित विद्यार्थियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है।
जो जा रहे हैं वो या तो खेलते हुए समय बिता रहे हैं या कुछ देर खुद से पढ़ाई और मध्याह्न भोजन कर घर को लौट रहे हैं।

दैनिक भास्कर की टीम ने सोमवार को प्रदेशभर के अलग-अलग जिलों के स्कूलों में जाकर वहां की स्थिति की ग्राउंड रिपोर्टिंग की। शासकीय प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक शाला पुलगांव, भिलाई में केवल प्रधान पाठक बैठे हुए थे और बच्चे बाहर खेलने में व्यस्त थे। स्कूल के प्रधान पाठक ने बताया कि 7 स्टाफ में से 5 शिक्षाकर्मी है जो हड़ताल पर हैं। एक शिक्षक किसी काम से बाहर गए हैं।

एक शिक्षक के भरोसे चल रही कक्षाएं, साढ़े पांच हजार हड़ताल पर

महासमुंद जिले के 1900 स्कूलों में साढ़े पांच हजार से अधिक शिक्षाकर्मी कार्यरत हैं। इनके हड़ताल में चले जाने से इनमें से अधिकांश स्कूल एक शिक्षक के ही भरोसे चल रहे हैं। कई स्कूलों में हालात यह है कि शिक्षकों के नहीं आने से दर्ज संख्या से आधे बच्चे ही स्कूल पहुंच रहे हैं। सोमवार को भास्कर की टीम ने शहर के कई स्कूलों का जायजा लिया तो पाया कि शहरी इलाकों में ही शिक्षकों के अभाव में बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। सोमवार सुबह 12 बजे भास्कर की टीम जब प्राथमिक स्कूल गंज पारा पहुंची तो अधिकांश बच्चे बाहर खेल रहे थे। यहां दर्ज संख्या 125 है, लेकिन गिनती के बच्चे ही यहां उपस्थित थे। शिक्षिका लता शर्मा ने बताया कि कुल छह में से तीन शिक्षाकर्मी हड़ताल पर हैं। एक शिक्षक अवकाश पर है, जबकि एक अन्य शिक्षक की ड्यूटी गौरखेड़ा के एकल शिक्षकीय स्कूल में लगाई गई है।





उन्होंने बताया कि डीएड के छात्रों के कारण पढ़ाई में कोई विशेष फर्क नहीं पड़ रहा है, लेकिन शिक्षकों के नहीं आने से बच्चों की संख्या में कमी जरूर आई है।

नयापारा चकरभाठा प्राथमिक शाला, बिलासपुर में बच्चे खेलते दिखे।

परिजनों के साथ धरने पर बैठे शिक्षाकर्मी, बच्चे भी हुए शामिल

अंबिकापुर |प्रशासन की सख्ती के बाद भी शिक्षाकर्मी आंदोलन पर डटे हुए हैं। आठ दिनों से चल रही अनश्चितकालीन हड़ताल को सोमवार को शिक्षाकर्मियों ने तेज करते हुए अपने परिजनों के साथ धरना दिया और सभा की। संभाग मुख्यालय अंबिकापुर सहित सभी सातों ब्लाकों में शिक्षाकर्मी दिन भर धरने पर रहे। धरने में शिक्षाकर्मियों के माता-पिता और बच्चे भी शामिल हुए। धरने में शामिल शिक्षाकर्मी संविलियन की मांग लिखी टोपी पहन रखे थे। शिक्षार्मियों ने कहा कि सरकार को आइना दिखाने के लिए इस तरह की टोपी पहननी पड़ रही है। भाजपा ने सत्ता में आने के बाद शिक्षाकर्मियों के संविलियन का वादा किया था लेकिन 14 सालों में पूरा नहीं हुआ। धरने में शिक्षाकर्मियों ने शासन प्रशासन की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि हड़ताल तोड़ने के लिए 12वीं पास युवकों को शिक्षाकर्मियों के विकल्प के तौर पर भर्ती कर रही है।



लेकिन इससे न तो इन युवाओं का भला होेने वाला है और न स्कूलों में पढ़ाई होने वाली है। शिक्षा दान के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को छलने का काम किया जा रहा है। शिक्षाकर्मियों ने कहा कि शासन प्रशासन में अगर इतना ही साहस है तो वह जिले के सभी शिक्षाकर्मियों को एक साथ बर्खास्त कर नए लोगों की भर्ती कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे, इससे शासन को शिक्षाकर्मियों के महत्व का पता चल जाएगा। शिक्षाकर्मियों ने मंगलवार को सभी ब्लाकों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड अभियान चलाए जाने की चेतावनी दी है। शिक्षाकर्मियों शिक्षा दान के लिए आगे आ रहे युवाओं से आग्रह किया है कि शासन प्रशासन के बहकावें में न आएं।

हड़ताल

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शिक्षाकर्मियों की हड़ताल के कारण शिक्षा विभाग ने सोमवार से शुरू होने वाला मंथली टेसट कैंसिल कर दिया है। बोर्ड परीक्षा में रिजल्ट सुधारने के लिए टारगेट दिया गया है और इसी आधार पर पढ़ाई होती है। हर महीने टेस्ट होता है ओर रिजल्ट के आधार पर आगे की तैयारी कराई जाती है।

दिसंबर में छमाही परीक्षा है। तिमाही परीक्षा में आधे बच्चे फेल हो गए थे। इसके बाद दशहरा और दिवाली की छुट्‌टी हो गई थी। छुट्‌टी के बाद पढ़ाई शुरू हुई ही थी कि शिक्षाकर्मी हड़ताल पर चले गए।

प्राचार्यों का कहना है कि हड़ताल खत्म नहीं हुई तो बोर्ड परीक्षा के लिए जो टारगेट दिया गया है वह पूरा नहीं हो पाएगा। दसवीं में 75 प्रतिशत जबकि बारहवीं में 85 प्रतिशत रिजल्ट का टारगेट दिया गया है।

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