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दो गुटों की खींचतान से प्रोफेसर की सीधी भर्ती में यूजीसी के नियमों को तोड़ने की तैयारी

 रायपुर। (नईदुनिया प्रतिनिधि) छत्तीसगढ़ में 25 साल बाद होने जा रही प्रोफेसरों के सीधी भर्ती के595 पदों पर भर्ती से पहले ही अंदरूनी गुटबाजी और विवाद शुरू हो गया है। भर्ती के नियमों को लेकर कुछ लोगों के लिए

इसमें बदलाव करने की मांग की जा रही है। बताया जाता है कि भर्ती में नियमों में बदलाव के कारण एक बार फिर भर्ती में देरी करके राज्य सरकार की छवि धूमिल करने की कोशिश हो रही है। दरअसल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप 25 साल बाद प्रोफेसरों की सीधी भर्ती करने का प्रस्ताव है। इसके पहले राज्य के कालेज और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का दो गुट बन गया है। सूत्रों की मानें तो इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों को तोड़कर कुछ वर्ग विशेष के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियम बदलने पर काम चल रहा है। ऐसे में भर्ती से पहले ही भर्राशाही की बू आने लगी है। इसमें उच्च शिक्षा विभाग में पदस्थ कुछ प्रतिनियुक्ति में बैठे अफसरों की मिलीभगत के कारण राज्य सरकार की छवि धूमिल हो सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप प्रदेश में पहली बार प्रोफेसरों की भर्ती के लिए प्रस्ताव छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) को भेजा गया था। तमाम औपचारिकताएं पूरी होने के बाद विज्ञापन जारी होने से ऐन वक्त पहले चंद लोगों के लिए अफसरों ने अब नियमों में संशोधन करने की तैयारी कर ली है। बता दें कि छत्तीसगढ़ के कालेजोें में एक भी प्रोफेसर नहीं है। यहां असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रोफेसर बनाने के लिए सीधी भर्ती और पदोन्नति के माध्यम से नियुक्ति होती है। पिछले भाजपा सरकार में पिछले सालों में न ही प्रोफेसरों की भर्ती हुई है और न ही असिस्टेंट प्रोफेसरों पदोन्नति हो पाई है। इसके कारण उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। प्रदेश के कालेजों में शिक्षा की बुरी स्थिति है।

इन नियमों का पालन नहीं तो रद हो जाएगी भर्ती

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने साल 2018 में जो रेगुलेशन जारी किया गया है। जानकारों की माने तो इन नियमों का यदि प्रोफेसरों की भर्ती में पालन नहीं किया गया तो यह भर्ती कांग्रेस सरकार में भी नहीं हो पाएगी। जानकारों की मानें तो प्रदेश में अकेले पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से ही पिछले 25 सालों में बहुत सारे शोधार्थी पीएचडी डिग्री लेकर निकले हैं। ज्यादातर असिस्टेंट प्रोफेसर अभी शोध के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम कर रहे हैं। यूजीसी के नियमों का पालन नहीं किया तो मामला ठंडे बस्ते में जा सकता है, ऐसे में कांग्रेस सरकार में भी भर्ती में रोड़ा आ सकता है। यदि यूजीसी के नियम का पालन करके प्रोफेसरों की भर्ती नहीं हुई तो यूजीसी से कालेजों को अनुदान मिलने में भी दिक्कत होगी। इसके अलावा नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) की ग्रेडिंग में भी दिक्कत होगी । इससे सीधे अनुदान प्रभावित हो जाएगा। छत्तीसगढ़ में आठ निजी और आठ सरकारी विश्वविद्यालय हैं। इनमें से अभी तक छह विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग हो चुकी है। इसी तरह 574 कालेजों में से 126 कालेजों की ही नैक ग्रेडिंग हुई है। पिछले 20 साल से छत्तीसगढ़ में प्रोफेसर के स्वीकृत पदों पर सीधी भर्ती नहीं हो पाई है। प्रोफेसरों की भर्ती के लिए अधिकतम उम्र 45 साल, पीएचडी और 10 साल का शिक्षण अनुभव अनिवार्य है।यूजीसी के मुताबिक पीएचडी कराने का अनुभव चाहिए। न्यूनतम 10 रिसर्च पेपर अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशित होना चाहिए। अभ्यर्थी को 10 साल तक किसी विश्वविद्यालय या कालेज में पढ़ाना चाहिए।

यूजीसी से नहीं मिल पाती है राशि

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कालेजों में प्रोफेसरों की कमी पर सख्त रुख दिखाया था। राज्य के सभी कालेजों और विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों को भरने के लिए यूजीसी ने स्पष्ट आदेश जारी किया है। नियुक्ति न करने पर यूजीसी ने कालेजों से अनुदान वापस लेने की चेतावनी भी दी थी।

वर्सन

प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के प्रस्ताव में कुछ बिंदुओं पर संशोधन पर काम चल रहा है। पदोन्नति के लिए भी जल्द ही प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। - धनंजय देवांगन, सचिव, उच्च शिक्षा

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प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विज्ञापन अंतिम रूप से जारी होने वाला था, लेकिन इसमें कुछ संशोधन करना बताया जा रहा है, इसलिए विज्ञापन रोका गया है।- जीवन किशोर धु्रव, सचिव, छत्तीसगढ़ पीएससी, रायपुर

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पिछले कई सालों से पदोन्नति नहीं हुई है। प्रोफेसरों के लिए सीधी भर्ती और दूसरी पदोन्नति के माध्यम से पद भरे जाते हैं।

पात्र प्राध्यापकों को पहले पदोन्नति मिलनी चाहिए। 400 असिस्टेंट प्रोफेसर इससे वंचित हैं।- डा.केके बिंदल, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़

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यूजीसी के नियम 2018 के एपीआइ स्कोर की शर्तों के आधार पर भर्ती होनी चाहिए। स्थानीय की प्राथमिकता जैसी सोच से यदि इस नियम को बदला गया तो लो ग्रेड के शिक्षकों का ही चयन होगा। यूजीसी से अनुदान भी नहीं मिलेगा। नियमों को तोड़कर भर्ती करना गलत है। - डा. शम्स परवेज, अध्यक्ष, शिक्षक संघ, पं. रविवि 

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