कोरबा. शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालको की प्राचार्य
आरपी सिंह ने एक आदेश जारी स्कूल की गर्मी की छुट्टीयों को कैंसल कर दिया
है।
आदेश में बाकायदा शिक्षकों से हस्ताक्षर भी लिए गए हैं। जिसमें कहा है कि कक्षा दसवीं में पूरक एवं अनुत्तीर्ण हुए छात्राओं का अध्यापन कार्य एक मई से 30 मई तक कराया जाएगा।
इस दौरान स्कूल का समय प्रात: आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक होगा। विषय शिक्षक द्वारा अध्यापन कार्य पूर्ण कराए जाएगा। इसलिए शाला के किसी भी स्टाफ का ग्रीष्मकालीन अवकाश स्वीकृत नहीं होगा।
100 प्रतिशत रखा था लक्ष्य आया 50
आदेश देकर प्राचार्य ने कहा है कि दसवीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षाफल के लिए बार-बार सूचना निकालकर 100 फीसदी रिजल्ट लाने हेतु कलेक्टर के आदेश से अवगत कराया गया है।
उत्कर्ष गाइड से महत्वपूर्ण प्रश्न छात्राओं को बताने प्रेरित किया गया, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। आदेश में यह भी कहा गया है कि साल भर आप लोगों
ने क्या पढ़ाया उसका परिणाम छात्राओं के रिजल्ट से पता चलता है। स्कूल का रिजल्ट इस वर्ष 50 फीसदी रहा है। 47 बच्चे फेल हो गए हैं।
निष्ठापूर्वक नहीं किया कार्य
आदेश में बेहद कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, अमूमन प्रशासनिक पत्रों में ऐसी भाषा का इस्तेमाल कम ही किया जाता है।
जिसमें प्राचार्य ने यह भी उल्लेख किय है कि शिक्षकों ने निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया है। आदेश का पालन नहीं करना और अपनी मनमानी करना परिलक्षित होता है
कि आपने छात्राओं को पढ़ाया ही नहीं है। मोबाइल पर लगे रहना एवं समय का सदुपयोग छात्रहित में नहीं करना जिले के रिजल्ट से भी बहुत कम रिजल्ट का उल्लेख करते हुए इन्हें अन्यत्र संस्था से स्थानांतरण की कार्यवाही वरिष्ठ कार्यालय से पत्र व्यवहार करने की बात कही।
साथ ही जिलाधीश को अवगत कराते हुए आप लोगों को इस संस्था से अलग किया जाए। प्राचार्य ने कहा है कि जब संस्था में शिक्षक नहीं थे तब रिजल्ट 70 से 82 प्रतिशत तक आता था। इससे आप स्वयं अपनी दक्षता का मूल्यांकन कर सकते हैं।
स्कूलों में प्राचार्य चलाते हैं अपनी व्यवस्था
आमतौर पर ज्यादातर सरकारी स्कूलो में प्राचार्य अपनी अलग व्यवस्था चलाते हैं। विभागी नियमों से उन्हें ज्यदाकुछ लेना देना नहीं होती।
कई बार तो बेहद हास्यास्पद व अजीबो गरीब आदेश निकाले जाते हैं। संस्था के अन्य शिक्षक व स्टाफ चाहकर भी कुछ नहीं कहा पाते।
जिसका कारण प्राचार्य का भय होता है। लेकिन जब इस तरह की बातें स्कूल से बाहर आती हैं। तब प्राचार्यों की किरकिरी होती है।
पार्षद ने की कलेक्टर से शिकायत
इम मामले की सूचना पाकर वार्ड क्रमांक 39 के पार्षद लुकेश्वर चौहान शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला बालको पहुंचे।
उन्होंने प्राचार्य व स्टाफ से इसकी जानकारी लेते हुए आदेश को निरस्त करने की मांग की। पार्षद ने यह भी कहा कि प्राचार्य द्वारा तानाशाही फरमान जारी किया गया है।
जोकि अव्यवहारिक होने के साथ ही नियमों के विरूद्ध भी है। यदि परिणाम ठीक नहीं आया तो प्राचार्य भी इसमें बराबर के दोषी हैं।
उन्हें साल भर के दौरान समीक्षा करनी चाहिए थी। खींझ में प्राचार्य ने पुरक व फेल हो चुके बच्चों को फिर से बुलाने को कहा है। जोकि संभव भी नहीं है। मेरे द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर व डीईओ से भी की गई है।
आदेश में बाकायदा शिक्षकों से हस्ताक्षर भी लिए गए हैं। जिसमें कहा है कि कक्षा दसवीं में पूरक एवं अनुत्तीर्ण हुए छात्राओं का अध्यापन कार्य एक मई से 30 मई तक कराया जाएगा।
इस दौरान स्कूल का समय प्रात: आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक होगा। विषय शिक्षक द्वारा अध्यापन कार्य पूर्ण कराए जाएगा। इसलिए शाला के किसी भी स्टाफ का ग्रीष्मकालीन अवकाश स्वीकृत नहीं होगा।
100 प्रतिशत रखा था लक्ष्य आया 50
आदेश देकर प्राचार्य ने कहा है कि दसवीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षाफल के लिए बार-बार सूचना निकालकर 100 फीसदी रिजल्ट लाने हेतु कलेक्टर के आदेश से अवगत कराया गया है।
उत्कर्ष गाइड से महत्वपूर्ण प्रश्न छात्राओं को बताने प्रेरित किया गया, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। आदेश में यह भी कहा गया है कि साल भर आप लोगों
ने क्या पढ़ाया उसका परिणाम छात्राओं के रिजल्ट से पता चलता है। स्कूल का रिजल्ट इस वर्ष 50 फीसदी रहा है। 47 बच्चे फेल हो गए हैं।
निष्ठापूर्वक नहीं किया कार्य
आदेश में बेहद कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, अमूमन प्रशासनिक पत्रों में ऐसी भाषा का इस्तेमाल कम ही किया जाता है।
जिसमें प्राचार्य ने यह भी उल्लेख किय है कि शिक्षकों ने निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया है। आदेश का पालन नहीं करना और अपनी मनमानी करना परिलक्षित होता है
कि आपने छात्राओं को पढ़ाया ही नहीं है। मोबाइल पर लगे रहना एवं समय का सदुपयोग छात्रहित में नहीं करना जिले के रिजल्ट से भी बहुत कम रिजल्ट का उल्लेख करते हुए इन्हें अन्यत्र संस्था से स्थानांतरण की कार्यवाही वरिष्ठ कार्यालय से पत्र व्यवहार करने की बात कही।
साथ ही जिलाधीश को अवगत कराते हुए आप लोगों को इस संस्था से अलग किया जाए। प्राचार्य ने कहा है कि जब संस्था में शिक्षक नहीं थे तब रिजल्ट 70 से 82 प्रतिशत तक आता था। इससे आप स्वयं अपनी दक्षता का मूल्यांकन कर सकते हैं।
स्कूलों में प्राचार्य चलाते हैं अपनी व्यवस्था
आमतौर पर ज्यादातर सरकारी स्कूलो में प्राचार्य अपनी अलग व्यवस्था चलाते हैं। विभागी नियमों से उन्हें ज्यदाकुछ लेना देना नहीं होती।
कई बार तो बेहद हास्यास्पद व अजीबो गरीब आदेश निकाले जाते हैं। संस्था के अन्य शिक्षक व स्टाफ चाहकर भी कुछ नहीं कहा पाते।
जिसका कारण प्राचार्य का भय होता है। लेकिन जब इस तरह की बातें स्कूल से बाहर आती हैं। तब प्राचार्यों की किरकिरी होती है।
पार्षद ने की कलेक्टर से शिकायत
इम मामले की सूचना पाकर वार्ड क्रमांक 39 के पार्षद लुकेश्वर चौहान शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला बालको पहुंचे।
उन्होंने प्राचार्य व स्टाफ से इसकी जानकारी लेते हुए आदेश को निरस्त करने की मांग की। पार्षद ने यह भी कहा कि प्राचार्य द्वारा तानाशाही फरमान जारी किया गया है।
जोकि अव्यवहारिक होने के साथ ही नियमों के विरूद्ध भी है। यदि परिणाम ठीक नहीं आया तो प्राचार्य भी इसमें बराबर के दोषी हैं।
उन्हें साल भर के दौरान समीक्षा करनी चाहिए थी। खींझ में प्राचार्य ने पुरक व फेल हो चुके बच्चों को फिर से बुलाने को कहा है। जोकि संभव भी नहीं है। मेरे द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर व डीईओ से भी की गई है।